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अध्यक्ष पद की गरिमा बनाये रखने हेतु प्रतिबद्ध,न दबाव में आए है और न आएंगे – देवनानी

राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बुधवार को सदन में सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के चतुर्थ सत्र का समापन करते हुए कहा कि वे अध्यक्ष पद की गरिमा को बनाये रखने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वे न कभी दबाव में आए हैं और न ही आएंगे। उन्होंने कहा कि सदन की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इसके लिए कारगर कदम उठाये जाने आवश्यक हैं। देवनानी ने कहा कि सदन के नेता, नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष जब सदन में बोलने के लिए खड़े होते है तब सभी सदस्यों द्वारा उन्हें शांतिपूर्वक सुने जाने की परम्परा रही है। देवनानी ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि बुधवार को इस दौरान प्रतिपक्ष द्वारा सदन की परम्पराओं का हनन किया गया, जो बेहद दुःखद है।

सदन की पुरानी परम्पराओं का हनन
देवनानी ने पीड़ा जताते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के असहयोग से राज्य की 8 करोड़ जनता के हितों के लिए कार्य करने के लिए तत्पर सरकार को रोकने का हरसम्भव प्रयास किया गया और कहा कि इससे आमजन को लाभान्वित करने हेतु सदन में की जाने वाली उद्देश्यपरक चर्चा की प्रक्रिया को आघात लगा है। उन्होंने कहा कि इससे सदन की पुरानी समृद्ध ऐतिहासिक परम्पराओं का हनन हुआ है। सत्र के प्रारम्भ से ही प्रतिपक्ष के सदस्यों द्वारा असहयोगात्मक रुख अपनाया गया। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही के दौरान प्रतिपक्ष के द्वारा व्यवधान, शोर-शराबा, सदन कूप में एकत्र होकर नारेबाजी तथा प्रदर्शन आदि से सदन के सुगम संचालन में निरंतर बाधा उत्पन्न की गई।

प्रतिपक्ष को आमजन के दुःख दर्द और राज्य के विकास से सरोकार नहीं

अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता तथा प्रतिपक्ष के कतिपय अन्य वरिष्ठ सदस्यों द्वारा समय-समय पर महत्वहीन प्रकरणों को तूल देते हुए सदन के भीतर तथा बाहर हंगामा व प्रदर्शन करने से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें आमजन के दुःख दर्द तथा राज्य के विकास से कोई सरोकार नहीं है कहा कि ऐसे प्रदर्शन करने से लगता है कि शायद उन्हें महज समाचार पत्रों तथा मीडिया में कवरेज की ही चिन्ता है।

प्रतिपक्ष के असहयोगात्मक रुख के बावजूद भी महत्वपूर्ण संसदीय कार्य सम्पादित
देवनानी ने कहा कि प्रतिपक्ष के असहयोगात्मक रुख के बावजूद भी वर्तमान सत्र में सदन द्वारा 10 महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए और इसके साथ अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य भी सम्पादित किए गए।

उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन चलाने के अथक प्रयास किये। प्रतिपक्ष के सदस्यों को अपने कक्ष में बुलाकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में उन्हें समझाने के भी पूरे प्रयास किये।देवनानी ने प्रतिपक्ष की बातों को भी धैर्यपूर्वक सुना और प्रतिपक्ष के प्रतिनिधिमण्डल से की गई अनेक दौर की वार्ताओं में उनके द्वारा उठाए गए प्रत्येक मु‌द्दे के प्रत्येक बिन्दु का विस्तार से जवाब भी दिया।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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