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डोटासरा के बयानों में झलकता है अहंकार,अहंकार ना तो रावण का रहा,ना ही कंस का:मंत्री झाबर सिंह खर्रा

जयपुर(सुनील शर्मा) यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते उन्हें किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी।खर्रा ने कहा कि डोटासरा के बयानों में दंभ झलकता है,इतिहास साक्षी है कि अहंकार ना तो रावण का रहा और ना ही कंस का रहा।उन्होंने कहा कि आज संविधान की दुहाई देने वाले कांग्रेस के नेता भूल जाते है कि उन्होंने आजाद भारत का पहला संविधान संशोधन महज एक साल से भी कम अंतराल पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज दबाने के लिए किया।इसके बाद तो अनेकों उदाहरण भरे पड़े है,जब कांग्रेस ने संविधान को अपने पैरों तले रोंदा था। अब वे सौ—सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली कहावत को चरितार्थ कर रहे है।

मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि कांग्रेस राज में तुष्टिकरण और निजी राजनीतिक लाभ के लिए जयपुर,कोटा और जोधपुर को दो भागों में विभाजित किया था, लेकिन भजनलाल सरकार ने जनभावनाओं और जनसंख्या को देखते हुए सैद्धांतिक रूप से हमने इन तीनों ही स्थानों पर एक—एक निकाय के रूप में चुनाव करवाने का निर्णय किया है।साथ ही खर्रा ने कि वार्ड के सीमाओं की वृद्धि सीमांकन सहित अन्य कार्य विभाग स्तर पर किए जाते है,परिसीमन के बाद राज्य निर्वाचन आयोग का कार्य होता है कि वे मतदाता सूचियां बनाए और चुनाव प्रक्रिया संपादित करें।विभाग से जुड़े हुए विषयों पर अगर विभाग के अधिकारी और मंत्री के रूप में मैं नहीं बोलूंगा तो क्या गोविंद सिंह डोटासरा बोलेंगे ? उन्होंने कहा कि वार्डों के सीमांकन का काम हम जुलाई में पुरा कर राज्य निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची बनाने के लिए भेज देंगे।इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराएगा।हमारी मंशा है कि एक राज्य एक चुनाव के दृष्टिकोण के तहत राज्य में निकाय चुनाव हो। चाहे वे एक दिन में हो या दो तिथियों में हो।

मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि हम इस बात के लिए पूर्णतया आशांवित है कि 2028 में हम पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में हम जन अप्रेक्षाओं के अनुरूप काम कर रहे है।

साथ ही खर्रा ने डोटासरा पर हमला करते हुए कहा कि वे अगर मजबूत नेता है तो छाती ठोककर कहे कि या तो उनके गुरू जी (गहलोत) गलत थे जिन्होंने अपने साथी (पायलट) को नाकारा,निकम्मा कहा था,या फिर वे ये माने उनके गुरू सही है और जिन्हे वे आज मजबूत मान रहे है वो नाकारा,निकम्मे ही थे।साथ ही खर्रा कहा कि ये दोनों विपरीत बातें एक साथ नहीं हो सकती।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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