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पंचतत्व में विलीन हुए पद्मश्री अर्जुनसिंह शेखावत:बारिश के बावजूद अंतिम यात्रा में उमड़े शहरवासी; नम आंखों से दी विदाई

पाली के साहित्यकार पद्मश्री अर्जुनसिंह शेखावत का आज नम आंखों से अंतिम संस्कार किया गया। कल लंबी बीमारी के बाद 91 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था। शनिवार को पाली पंचायत समिति के सामने बने हिन्दू सेवा मंडल में अंतिम संंस्कार किया गया।

इस दौरान परिजन के साथ अंतिम यात्रा में एसडीएम पाली विमलेंद्र सिंह राणावत, सीओ सिटी उषा यादव, बीजेपी जिला अध्यक्ष सुनील भंडारी, पूर्व सभापति महेंद्र बोहरा, कांग्रेस नेता महावीर सिंह सुकरलाई, पूर्व उपसभापति मूलसिंह भाटी, बीजेपी शहर अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह भाटी, परमेंद्र सिंह परिहार व कई शहरवासी शामिल हुए। पार्थिक देह को अर्जुनसिंह शेखावत के बेटों और पोतों ने मुखाग्नि दी।

पाली पंचायत समिति के सामने बने हिन्दू सेवा मंडल में अंतिम किया गया

इससे पहले सुबह 10 बजे शहर के पुराना हाउसिंग बोर्ड से अंतिम यात्रा निकाली गई। बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में गणमान्य लोग और शहरवासी इसमें शामिल हुए। एसडीएम पाली विमलेंद्र सिंह राणावत और सीओ सिटी उषा यादव ने हिन्दू सेवा मंडल मोक्षधाम में पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी।

एसडीएम पाली विमलेंद्र सिंह राणावत पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।
सीओ सिटी उषा यादव पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए।
बारिश के बावजूद परिवार के साथ बड़ी संख्या में लोग मोक्षधाम पहुंचे और श्रद्धांजलि दी।
हिंदू सेवा मंडल में उनकी अंतिम यात्रा में बीजेपी और कांग्रेस नेता।

पाली के भादरलाऊ गांव में हुआ जन्म

अर्जुन सिंह शेखावत का जन्म 4 फरवरी 1934 को पाली के भादरलाऊ गांव में हुआ था। राजस्थानी और हिंदी साहित्य में उन्होंने एमए किया। इसके बाद बीएड किया। उन्हें साहित्यरत्न, आयुर्वेदरत्न, वैद्याचार्य की उपाधियां मिली। वे स्कूल में प्रधानाचार्य रहे। राजस्थानी और हिंदी भाषा में उन्होंने गद्य-पद्य दोनों विधाओं में खूब लेखनी चलाई।

1952 में उनकी पहली रचना ‘प्रजा सेवक’ पत्रिका में छपी। 1957 में ‘बयार एक हल्की सी’ नवीन लेखक संघ आगरा से हिंदी में छपा। राजस्थानी में उनके निबंध की पहली किताब ‘अणबोल्या बोल’ 1976 में प्रकाशित हुई। पाठ्यक्रम की पुस्तक ‘राजस्थानी गद्य संग्रह’ (1993, 2008) माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर से प्रकाशित हुई।

राजस्थानी साहित्य के लिए दिए गए योगदान के लिए उन्हें 9 नवंबर 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था

1999 में साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से ‘राजस्थानी व्रत कथा प्रकाशित हुई। साल 2002 में आदिवासी संस्कृति पर शोधपरक किताब संस्कृति रा वडेरा प्रकाशित हुई। राजस्थानी में 2004 में लिखी वन रा वारिस को साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने अनुवाद कराया।

सबसे चर्चा में रही 2006 में प्रकाशित भाखर रा भौमिया। यह आदिवासी रीति रिवाज और संस्कृति पर लिखी गई खास पुस्तक रही। इसका अनुवाद अंग्रेजी में हुआ। इसे यूनेस्को ने सम्मानित किया। आदिवासी संस्कृति पर लिखी उनकी किताबों के आधार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने चार फिल्मों का निर्माण कराया।

अपने जीवनकाल में अर्जुनसिंह शेखावत ने कई पुस्तकें लिखीं और कई का संपादन किया।

ये सम्मान मिले

साहित्य सेबी’ (1959), ‘आर्च ऑफ एक्सीलेंस अवॉर्ड’ (अमेरिका) 1994, ‘मैन ऑफ द ईयर’ (ओ.बी.आई. अमेरिका), दलित साहित्य अकादमी से ‘आम्बेडकर फैलोशिप’ और ‘मेडल’ (1999, 2007), नारायण सेवा संस्थान से’ राष्ट्रीय रत्न’ और भारत गौरव’ (1999, 2007), ज्ञान भारती, कोटा से ‘गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी पुरस्कार’ (2003), राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी से ‘शिवचंद्र भरतिया गद्य पुरस्कार (2006), राजस्थान रत्नाकर, दिल्ली से’ महेन्द्र जाजोदिया पुरस्कार’ (2007), यूनेस्को (U.N.O.) से’ यूनेस्को चेतना अवॉर्ड’ (2007), राजस्थान पत्रिका से ‘कर्णधार पुरस्कार’ (2009), साहित्य अकादेमी, दिल्ली से ‘अनुवाद पुरस्कार’ (2009), अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन कोलकाता से सीताराम रूंगटा राजस्थानी साहित्य पुरस्कार’ (2013)।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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