Home » राजस्थान » पीएचडी किसान ने उगाई कब्ज दूर करने वाली फसल:न जानवर नुकसान पहुंचाते हैं, न अधिक पानी की जरूरत; कमाई लाखों में

पीएचडी किसान ने उगाई कब्ज दूर करने वाली फसल:न जानवर नुकसान पहुंचाते हैं, न अधिक पानी की जरूरत; कमाई लाखों में

बंजर जमीन सोना कैसे उगल सकती है? जवाब है- सही ट्रीटमेंट कर सही फसल लगाई जाए। यह करके दिखाया है जयपुर के जोबनेर कस्बे के किसान नेमराज सुंडा ने। नेमराज के दावे पर इसलिए यकीन किया जा सकता है क्योंकि वे किसान होने के साथ-साथ खेती विषय में पीएचडी कर चुके हैं और दूदू (जयपुर) में उद्यान विभाग में सहायक निदेशक हैं।

नेमराज का कहना है हर किसान परिवार में एक सदस्य को एग्रीकल्चर में उच्च शिक्षा हासिल करनी चाहिए। ताकि किसान परिवार को पता चले कि अपने खेत से वे मुनाफा कैसे कमा सकते हैं।

खास तौर से डार्क जोन (जहां भूजल स्तर खतरनाक लेवल पर है) के किसान खेती में नवाचार पर विचार करें। उन्होंने डार्क जोन जोबनेर (जयपुर) में 10 बीघा में ईसबगोल की फसल लगाकर मुनाफा कमाया और अब रकबा (फसल का एरिया) बढ़ाकर 3 गुना कर दिया है।जयपुर शहर से 35 किलोमीटर दूर जोबनेर कस्बा है। यहां के हरिपुरा गांव (कालख) में किसान परिवार में नेमराज सुंडा (38) का जन्म हुआ। पिता परंपरागत खेती करते थे लेकिन डार्क जोन का इलाका होने के कारण खेती लगभग खत्म हो गई। हरिपुरा गांव में सुंडा परिवार की 45 बीघा जमीन बंजर हो गई।

नेमराज को खेतों और खेती से प्यार बचपन से था। इसलिए स्कूल के बाद एग्रीकल्चर विषय लिया। उन्होंने एग्रीकल्चर विषय में M.SC की। उनका सरकारी सेवा में चयन हुआ और वे सहायक कृषि अधिकारी बन गए। सरकारी नौकरी लगने के बाद भी वे समय निकालकर अपनी जमीन पर जाते और नवाचार शुरू किए।

बाद में पीएचडी कर खेती के बारे में बारीक से बारीक जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपने बंजर खेतों को संभाला और मिट्टी के ट्रीटमेंट से लेकर सरकारी स्कीम्स का लाभ लेते हुए 10 बीघा में ईसबगोल की फसल लगा दी।
उन्होंने बताया कि डार्क जोन में ईसबगोल की खेती में रिस्क और लागत दोनों ही कम हैं और मुनाफा ज्यादा। यह फसल 120 दिन में तैयार हो जाती है। इस तरह 3-4 महीने में 10 बीघा से मैंने 4 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाया।

अब 30 बीघा में ईसबगोल की खेती की है और 12 लाख से ज्यादा की कमाई का अनुमान है। सीजन में खीरा-ककड़ी से अतिरिक्त आय को मिलाकर सालाना 20 लाख से ज्यादा कमाई है। ईसबगोल का इस्तेमाल औषधी के रूप में होता है। साथ ही फूड इंडस्ट्री में इसकी डिमांड रहती है।
खरबूजा-ककड़ी में मुनाफा नहीं तो ईसबगोल लगाया

सुंडा ने बताया कि ग्राउंड वाटर कम होने से वर्षा के पानी को संरक्षित करने के लिए सबसे पहले तीन फॉर्म पौंड बनवाए। जिसमें 9 लाख रुपए खर्च हुए। कृषि विभाग से 3 लाख की सब्सिडी मिली। उद्यान विभाग द्वारा सब्सिडी पर 2.10 लाख रुपए में दो पौंड पर 5-5 HP (हॉर्स पॉवर) का सोलर सिस्टम लगवाया।

एक पौंड की वाटर कैपेसिटी 12 लाख लीटर है। इतना पानी गेहूं, जौ व अन्य फसलों के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में कम पानी में पनपने वाली कुष्मांड कुल (कम सिंचाई वाली) सब्जियों में तरबूज, खरबूजा और ककड़ी का दो साल तक उगाया।इनसे लागत तो निकली, लेकिन ज्यादा मुनाफा नहीं मिला।

साल 2022 में नागौर के डेगाना में देखा कि कम पानी के एरिया में किसान ईसबगोल की खेती कर रहे हैं। लागत बहुत कम और भाव भी अच्छा मिलता है।

पिछले दो साल ईसबगोल की डिमांड विदेशों में बढ़ने से औसतन भाव 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिल जाता है। 150 रुपए किलो के हिसाब से 20 किलो बीज लाया था। इसमें दो किलो प्रति बीघा के हिसाब से बीज लगता है। नवंबर 2022 में पहली बार इसबगोल की फसल लगाई।

दो क्वालिटी के बीज आते हैं

दरअसल, इसमें दो क्वालिटी के बीज आते हैं। एक झड़ने वाला बीज (बीज का यही नाम है) होता है, जिसमें प्रति बीघा के हिसाब से करीब 3 क्विंटल उत्पादन होता है। लेकिन हल्की बारिश और तेज हवा से फसल खराबे का डर रहता है। वहीं दूसरा बीज नहीं झड़ने वाला होता है। जिसमें प्रति बीघा के हिसाब से 2 से ढाई क्विंटल प्रति बीघा उत्पादन होता है।बीज का उपचार कर करें बुवाई, फायदा होगा

नेमराज ने बताया- ईसबगोल में बीमारियों का प्रकोप कम रहता है। इसमें डाउनी मिल्डयू नामक बीमारी होती है। जिसमें पत्तियों के नीचे फफूंद आ जाती है। यह वातावरण में अधिक नमी से आती है। इससे बचाव के लिए मेटा लक्सिल या मेनकोजेब कवकनाशी दवा से 2 ग्राम प्रति किलो बीज को उपचारित करने बाद बुवाई करें।

ईसबगोल के लिए जमीन में किसी तरह का रासायनिक खाद और उर्वरक डालने की आवश्यकता नहीं है। बंजर, खारी भूमि पर हल्के खारे पानी में भी इसबगोल की खेती की जा सकती है। यह हल्के खारे और हल्की खारी भूमि में पहला पानी देने के बाद करीब एक महीने में पौधों की ग्रोथ दिख जाती है।

दूसरी सिंचाई के तुरंत बाद अच्छी ग्रोथ नहीं होने पर NPK 19:19:19 (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, एक लीटर पानी में 10 ग्राम) को पानी में घोलकर पौधों पर स्प्रे करने से कमजोर पौधों की ग्रोथ हो जाती है। यह पेस्टिसाइड्स की श्रेणी में नहीं आता है। यह पौधे के लिए पोषक तत्व होता है।

फसल पकाव के समय सूक्ष्म पोषक (माइक्रो न्यूट्रेंट) तत्वों का छिड़काव किया जा सकता है। इसमें फसल के दानों में एक साथ पकाव हो जाता है और उत्पादन बढ़ता है। इसमें 6 सूक्ष्म पोषक तत्व है जिसमें लोहा, जिंक, मैग्ननीज, कॉपर, मोलीबिडनम, बोरोन जो अलग-अलग अनुपात में मिश्रण के रूप में मिलता है। यह लिक्विड और पाउडर फॉर्म में मिलता है। 400 लीटर पानी का घोल एक हैक्टेयर (4 बीघा) के लिए पर्याप्त है। जिसमें 2 किलो माइक्रो न्यूट्रेंट मिश्रण को मिलाकर तैयार किया जाता है।फसल के बचाव के लिए नीम ऑयल स्प्रे
नेमराज ने बताया- मोयला कीट से फसल के लिए नीम ऑयल का स्प्रे करना होता है। 400 लीटर पानी में 800 एमएल ऑयल का घोल एक हैक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है। मुख्यत: ईसबगोल की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला यही एक कीट होता है। जिसका बचाव नीम ऑयल स्प्रे कर किया जा सकता है।

नेमराज ने बताया कि ईसबगोल की बात करें तो जोबनेर में इससे पहले इस खेती को किसी ने नहीं अपनाया था। अब दूसरे किसान भी प्रेरित होकर ईसबगोल की खेती कर रहे हैं। माना कि सांभर-जोबनेर एरिया डार्क जोन में आता है, लेकिन इसमें में खेती और मुनाफा संभव है।

क्या है ईसबगोल?

ईसबगोल को सीलियम हस्क के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फाइबर है जो कब्ज के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उपचारों में से एक है। यह वजन घटाने में कारगर है, क्योंकि यह न सिर्फ पेट भरा होने का एहसास कराता है, बल्कि ओवरइटिंग से भी रोकता है।

शुगर के मरीजों के लिए भी इसबगोल काफी अच्छा है। यह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में अहम भूमिका निभाता है। बवासीर की सबसे बड़ी वजह है कब्ज, ईसबगोल यहां भी कारगर है। साथ ही अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण बवासीर में होने वाली सूजन को भी कम करता है। इसबगोल की भूसी को सोने से पहले गर्म दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है।

कब्ज ही नहीं हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मदद करता है। लेकिन इसबगोल अत्यधिक लेने से बचना चाहिए, इससे पेट में दर्द, दस्त आदि दिक्कतें हो सकती हैं।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

0
0

RELATED LATEST NEWS

7k Network

Top Headlines

आईजी कैलाश चन्द्र विश्नोई के मजबूत निर्देशन में जयपुर विकास प्राधिकरण की अवैध कालोनियों पर बड़ी कार्रवाई

न्यूज इन राजस्थान जयपुर सुनील शर्मा जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा जोन-12 में निजी खातेदारी की करीब 11 बीघा कृषि भूमि