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जयपुर में मां के 2 चेहरे:एक ने नींद पूरी न होने पर बच्चे का गला काटा, दूसरी 3 बच्चों और आग के बीच ढाल बन गई

जयपुर में गुरुवार को खाना बनाते समय सिलेंडर में लगी आग से पूरा परिवार जिंदा जल गया। आग बुझाने के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम अंदर पहुंची तो कमरे का मंजर देख रूह कांप गई, आंखें नम हो गई।

पिता राजेश यादव (26) का शव एक कोने में था। वहीं कमरे की एक दीवार के सहारे तीन बच्चों ईशु (7), दिलखुश (2) और खुशमानी (4) के पूरी तरह जल चुके शव थे। आगे मां रूबी (24) का शव था, जिसकी बांहों का घेरा तीनों बच्चों के ऊपर था।

मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों व फायर बिग्रेड के अधिकारियों से भास्कर ने बात की तो उनका कहना था कि जिस तरह मां और बच्चों के शव मिले हैं, उसे देखकर लगता है कि मां ने आखिरी सांस तक बच्चों को बचाने की कोशिश की।

जब आग पूरे कमरे में फैली तो मां ने अपने तीनों बच्चों को दीवार के पास बिठा दिया और खुद सामने बैठ गई ताकि आग बच्चों तक न पहुंचे।

शायद डर से कांप रहे बच्चों को दिलासा भी दे रही थी, यही वजह थी कि पूरी तरह जल जाने के बाद भी तीनों बच्चों के ऊपर मां की बांहों का घेरा था।

अजीब बात है कि बुधवार को जयपुर में ही मां का एक और चेहरा सामने आया था। जिसमें मां ने बच्चे का गला काटकर हत्या कर दी, क्योंकि उसके रोने की वजह से मां की नींद पूरी नहीं हो पाती थी।पिता बच सकता था, परिवार को बचाने के लिए जलते घर में घुसा

पड़ोस के कमरे में रहने वाले राजेश प्रसाद ने बताया- राजेश के कमरे में रखा सिलेंडर रात को खत्म हो गया था। सुबह राजेश भरा सिलेंडर लेकर आया और कमरे के गेट के पास रखा गैस चूल्हा जलाया।

इस दौरान अचानक गैस चूल्हे की तरफ से पाइप बाहर निकल गई और आग लग गई। आग लगते ही राजेश चिल्लाते हुए कमरे से बाहर आ गया, लेकिन पत्नी और तीनों बच्चे अंदर फंस गए।

कमरे में आग में घिरे पत्नी-बच्चे चीख-पुकार मचाने लगे तो राजेश से रहा नहीं गया और वह दोबारा कमरे में आग की लपटों में कूद गया।

राजेश ने परिवार को बचाने के लिए गैस की पाइप को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन पकड़ नहीं पाया। इस दौरान वह खुद भी आग से झुलस गया। राजेश अपनी पत्नी और बच्चों को बचाने के लिए गया था, लेकिन खुद भी नहीं बच पाया।1 दिन पहले ही गांव से लौटा था परिवार

ACP (चौमूं) अशोक चौहान ने बताया कि बिहार के मोतिहारी के रहने वाले राजेश यादव का परिवार सात महीने से जैसल्या गांव में रहता था।

राजेश विश्वकर्मा एरिया में लोहा फैक्ट्री में काम करता था। परिवार पिछले एक महीने से अपने गांव गया हुआ था और बुधवार शाम ही जयपुर लौटा था।पहली मंजिल पर मौजूद लोग बचने के लिए छत से कूदे

आग में फंसे परिवार के चिल्लाने की आवाज सुनकर मकान में मौजूद लोग बाहर निकले। गेट पर रखे गैस सिलेंडर से आग लगी देख लोगों में हड़कंप मच गया। सिलेंडर में ब्लास्ट होने के डर के कारण मकान में मौजूद करीब 40 लोग बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इस भगदड़ के बीच पहली मंजिल पर रहने वाले लोग छत से पास वाले प्लॉट में कूद गए।

आग बुझने तक जिंदा जल गया पूरा परिवार

पड़ोसी अर्जुन ने बताया- फायर ब्रिगेड के आने से पहले ही हम लोगों ने आग बुझा ली थी। उधर, पुलिस ने बिजली बंद करवा दी थी। आग लगने से पूरे कमरे में धुएं का गुबार था और तेज बदबू उठ रही थी। टॉर्च जलाकर अंदर देखा तो परिवार के पांचों सदस्य जिंदा जल चुके थे।

अब उस मां की कहानी, जिसने 2 बार बेटे का गला काटा

जयपुर में बुधवार को एक हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ। तेलियों का मोहल्ला इलाके में 3 मार्च को एक मां ने डेढ़ महीने के बेटे की सर्जिकल ब्लेड से गला काटकर हत्या कर दी थी। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली थी हत्या की वजह…

आरोपी मां अंजुम ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसका बच्चा रोता रहता था, इस वजह से वह सो नहीं पाती थी और उसकी नींद पूरी नहीं होती थी। इसलिए उसने बेटे उजेफ की सर्जिकल ब्लेड से हत्या कर दी।पिता के क्लिनिक से चुराई थी ब्लेड

‘अल्लाह मेरे कर्म को माफ करे, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई, अब जहन्नुम में भी जगह नसीब नहीं होगी। मैंने अपने डेढ़ महीने के बेटे उजेफ को मार डाला। अपने पिता के क्लिनिक से सर्जिकल ब्लेड चुराकर लाई थी। उसी से गर्दन काटी। पहली बार में ब्लेड अटक गया तो वो नहीं मरा, इसलिए दूसरी बार ब्लेड फेर डाला।’

‘मेरा बीपी तब बहुत बढ़ गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या कर रही हूं। उजेफ दिन रात चिल्लाता था, मैं सो नहीं पाती थी। पता नहीं क्या सूझा। अल्लाह मेरे कर्म को माफ नहीं करेगा। अल्लाह मेरे इस गुनाह को माफ कर दे।’

ये भी पढ़ेंजयपुर में गुरुवार सुबह भयानक हादसे में एक परिवार के 5 सदस्य जिंदा जल गए। इनमें 3 बच्चे थे। खाना बनाते समय जब गैस सिलेंडर ने आग पकड़ी तो घर का मुखिया राजेश यादव बाहर निकल गया था, लेकिन पत्नी और बच्चे अंदर ही रह गए थे। आग से घिरे पत्नी-बच्चों ने चीख-पुकार मचाई तो वह दोबारा अंदर गया था।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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