एसएमएस का सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक 320 बेड का है, जो इन दिनों फुल चल रहा है। 24 घंटे इंतजार के बाद मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं, ऐसे में रोज 10 से 15 मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है। इस सब के बीच आईएचएमएस व्यवस्था फेल होती जा रही है। इसके तहत आनॅलाइन बेड उपलब्धता देखकर मरीजों को भर्ती कराना था।
एसएमएस अस्पताल में इस व्यवस्था की पड़ताल की तो सामने आया कि पहले मरीजों को लंबी कतार में खड़े होकर पर्ची कटानी पड़ती है। इसके बाद डॉक्टर को दिखाने की लंबी कतार फिर भर्ती के कागज बनाने के लिए भी कतार में खड़ा होना पड़ता है। आखिर में पता चलता है कि वार्ड में बेड ही नहीं है। ऐसे में घंटों परेशान होने के बाद भी मरीजों को निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है।
बड़ा सवाल : बेड नहीं होने के बाद भी डॉक्टर्स भर्ती के लिए क्यों लिख रहे?
सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक गेस्ट्रो, नेफ्रो और यूरोलॉजी के मरीजों के लिए है। इन तीनों की हर दिन करीब एक हजार आेपीडी होती है। इसमें से हर दिन करीब 20 से 25 मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है, जबकि पहले से भर्ती मरीजों में से हर दिन करीब 10 से 12 को ही डिस्चार्ज किया जा रहा है। ऐसे में करीब 10 से 15 मरीजों को हर दिन इंतजार करना पड़ रहा है।
इन मरीजों को डॉक्टर्स की ओर से भर्ती तो कर लिया जाता है, लेकिन 24 घंटे बाद बेड नहीं मिल रहे हैं। मरीजों को मजबूरन फर्श पर रहना पड़ रहा है। सुपर स्पेशीलिटी ब्लॉक में 50 आइसीयू, 6 मॉड्यूलर आपरेशन थिएटर, एमआरआई मशीन, 7 एंडोस्कोपी मशीन, 45 डायलिसिस टेबल और मरीजों के परिजनों के लिए वेटिंग रूम हैं।
320 बेड का सुपर स्पेशलिटी फुल; एसएमएस अस्पताल में यूरोलॉजी और गेस्ट्रो के मरीजों को परेशानी
401 वार्ड में भर्ती के लिए लिखा, दो दिन बेड नहीं मिला : दौसा जिले के चांदराना निवासी देवा गुर्जर को सोमवार रात को सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में भर्ती किया। देवा को वार्ड 401 में भर्ती कर लिया, लेकिन दो दिन से बेड नहीं मिला है। फर्श पर लेट कर इलाज कराने के लिए मजबूर है। देवा के गुर्दे की पथरी का ऑपरेशन होना है।
