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नदी में 12 जिंदगियां डूबने का VIDEO: लोग चिल्लाते रहे-बच्चों को बचा लो, एक-एक करके डूबते गए, 3 शव निकाले गए

बिहार के मुजफ्फरपुर में गुरुवार को बागमती नदी में हुए नाव हादसे का वीडियो सामने आया है। इसमें लोग बच्चों को बचाने के लिए चीख रहे हैं। कुछ लोग नदी में कूदते भी हैं। एक नाव बचाने के लिए आती है। कुछ बच्चों को बचाया भी जाता है। लेकिन इस दौरान एक-एक करके 12 जिंदगियां नदी में समा जाती हैं। इनमें से अब तक 3 की बॉडी मिली है। 9 की तलाश जारी है।

मधुरपट्टी गांव के नजदीक नदी में गुरुवार को एक नाव पलट गई थी। इसमें बच्चों समेत 32 लोग सवार थे। ग्रामीणों ने 20 लोगों को बचा लिया, लेकिन 12 लोग नदी में डूब गए और तेज बहाव में बह गए। इनमें ज्यादातर बच्चे शामिल थे, जो स्कूल जा रहे थे। इनकी तलाशी के लिए SDR की टीम ने 7 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन सफलता नहीं मिली।

पहला शव 4 साल की बच्ची का मिला, एक लड़का बच्चों को बचाते डूबा

पहला शव एक 4 साल की बच्ची का मिला। बच्ची की पहचान अजमत के रूप में हुई है। पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। दूसरा शव बलौर इलाके से मिला। फिलहाल उसकी पहचान नहीं हो पाई है। जबकि तीसरा शव गोरिहारी घाट से बरामद हुआ है। इसकी पहचान पिंटू के रूप में हुई है, जो बच्चो को बचाते समय डूब गया था। उसने ही दो बच्चो को डूबने से बचाया था।

अब भी आस, अपने लौट आएं…
इस घटना के बाद पूरे गांव में गम का माहौल है। जिन घरों के बच्चे या परिजन लापता हैं, वो नदी किनारे खड़े हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनके परिवार के लोग अब भी जिंदा हो सकते हैं।

बेटी को डूबता देख मां नदी में लगाई छलांग
जयनारायण यादव ने बताया कि बेटी राधा और भतीजी सुष्मिता खाना खाकर स्कूल गई थीं। शोर हुआ कि नाव पलट गई है। वह नदी की ओर भागने लगे। किनारे पहुंचे तो पता चला की बेटी और भतीजी डूब गई है। इधर, बेटी के डूबने का गम में सुष्मिता की मां ने नदी में छलांग लगा दी थी, जिसे ग्रामीणों ने बचा लिया।

मुजफ्फरपुर के गायघाट थाना क्षेत्र के बेनीबाद ओपी के मधुरपट्‌टी गांव में बागमती नदी में 33 लोगों से भरी नाव डूब गई। 20 लोगों को जैसे-तैसे बचा लिया गया। 12 लोगों नदी के तेज बहाव में बह गए। इनमें स्कूल बच्चों की संख्या ज्यादा है। कुछ लोग राशन लेने के लिए निकले थे, उनकी भी तलाश जारी है।

हादसे के बाद मधुरपट्टी गांव के लोग बागमती नदी के किनारे अपनों के लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं। उनमें गुस्सा भी है, क्योंकि हर चुनाव में पुल का वादा किया जाता रहा है, लेकिन मिला कुछ नहीं।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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