पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई अधूरी रही।
महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ वकील वीआर वाजवा ने बहस करते हुए कहा कि एसीबी के जिस मामले के आधार पर ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की है, उस एफआईआर में महेश जोशी का नाम तक नहीं था।
जिस लेन-देन को लेकर ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की है। वह लेन-देन जुलाई 2023 में बेटे की कंपनी में लोन के रूप में हुआ था। यह पूरा पैसा कुछ महीने बाद ही लौटा दिया गया था।
ईडी ने एक साल बाद मार्च 2024 में समन दिया था। जिसका जवाब दस्तावेजों के साथ ईडी को भेज दिया गया था। ईडी ने एक साल तक कोई कार्रवाई नहीं की।
अब राजनीतिक द्वेषता के चलते मामले में फंसाया जा रहा है। महेश जोशी को ईडी ने 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। अब बुधवार को ईडी के वकील महेश जोशी की दलीलों का जवाब देंगे।

ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल किए थे टेंडर
जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली ‘जल जीवन मिशन योजना’ से जुड़ा है।
साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के 4 टेंडर हासिल किए थे।
श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टेंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे।
श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल -1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे।
घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की थी। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा था। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी।
इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया था। ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए थे।
15 लाख में बने फर्जी सर्टिफिकेट
जल जीवन मिशन (जेजेएम) में घोटाले को लेकर एसीबी ने पूर्व मंत्री महेश जोशी समेत 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
इस मामले में एसीबी की टीम को सबसे बड़ी और पहली लीड एक प्राइवेट ऑफिस सहायक और अहमदाबाद निवासी मुकेश पाठक से मिली थी।
मुकेश से पूछताछ में सामने आया था कि फर्म मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल के प्रोपराइटर महेश मित्तल और मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल के प्रोपराइटर पदमचंद जैन के लिए 15 लाख रुपए में इरकॉन इंटरनेशनल कम्पनी के नाम से फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए थे।
मुकेश पाठक ने ही PHED के सभी ऑफिस से भी इन फर्जी प्रमाण पत्रों के संबंध में सत्यापन के ईमेल का जवाब भी दिया था। मुकेश ने एसीबी को बताया था कि उसने महेश मित्तल के कहने पर फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का काम किया।
इसके लिए महेश से 15 लाख रुपए से अधिक राशि ली। इसके एवज में फर्म श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और फर्म श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के नाम इरकॉन इंटरनेशनल कंपनी के फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर महेश मित्तल को दिए थे।
FIR में 18 बार महेश जोशी का नाम था
एसीबी ने ईडी से रिपोर्ट मिलने के बाद पूर्व मंत्री महेश जोशी सहित 22 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। एसीबी की एफआईआर में महेश जोशी और उनके पद (तत्कालीन मंत्री) का 18 बार और संजय बड़ाया का 16 बार जिक्र आया था। अधिकांश बार दोनों के नामों का एक साथ उल्लेख किया गया था।
