जयपुर से पहली बार ईद उल अजहा (बकरीद) के लिए 9350 बकरे एयर कार्गो के जरिए विदेश भेजे गए। शेखावाटी, सिरोही और बीकानेर नस्ल के इन बकरों को खाड़ी देशों में कुर्बानी के लिए एक्सपोर्ट किया गया। मामला सामने आने के बाद देवस्थान और पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा- बकरा एक जीव है, उसे काटना हमारी संस्कृति के खिलाफ है।
मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा-

हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से चलती है। हम गाय को माता मानते हैं, पशु-पक्षियों से लेकर आग, पानी, पहाड़ और पत्थर तक को पूजते हैं। ऐसे में किसी भी जीव की हत्या, चाहे वह बकरा ही क्यों न हो, हमारी सनातन परंपरा में स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा- ईद उल अजहा किसी धर्म के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन हमारी संस्कृति में जीव की बलि को इजाजत नहीं दी गई है।
ये सभी जीव किसी न किसी पशुपालक की रोजी-रोटी का जरिया होते हैं। राजस्थान जैसे राज्य की जीडीपी में योगदान देते हैं।
जब मंत्री से पूछा गया कि क्या बकरीद पर बकरों की कुर्बानी रोकने के लिए कोई तैयारी है? उन्होंने कहा- फिलहाल ऐसी कोई तैयारी नहीं है, लेकिन जीव हत्या गलत है।
