राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता विकास परियोजना (आरएफबीडीपी) के अंतर्गत पिपलेश्वर ग्रीन फेड फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, तुंगा, बस्सी, जयपुर में कृषिवानिकी (एग्रोफारेस्ट्री) एवं आजीविका संवर्द्धन पर मंगलवार को एक क्षमता निर्माण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में परियोजना क्षेत्र से जुड़े लगभग 90 किसानों ने सक्रिय भागीदारी की।
इस अवसर पर केतन कुमार, डीएफओ, जयपुर डिवीजनल मैनेजमेंट यूनिट (डीएमयू) ने कहा कि आर.एफ.बी.डी.पी. का मुख्य उद्देश्य वनों का संरक्षण करते हुए कृषिवानिकी के माध्यम से किसानों को आजीविका संवर्द्धन के नए अवसर उपलब्ध कराना है। कृषिवानिकी न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मददगार सिद्ध होगी बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की क्षमता भी विकसित करेगी। साथ ही बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण एवं वनीकरण (एफ्फोरेस्ट्रेशन) को प्रोत्साहन मिलेगा जिससे पर्यावरणीय संतुलन कायम रखने में मदद मिलेगी।”
प्रशिक्षण के दौरान हेमन्त कुमार दीक्षित, आजीविका विशेषज्ञ, पीएमसी, आरएफबीडीपी ने परियोजना के उद्देश्यों की जानकारी दी और समझाया कि कृषिवानिकी अपनाकर किसान अतिरिक्त आय का स्रोत कैसे विकसित कर सकते हैं। ओम प्रकाश गुप्ता, कृषि अधिकारी, कृषि विभाग, राजस्थान सरकार, ने पौधारोपण तकनीक, रखरखाव एवं पौधों की वृद्धि संबंधी पहलुओं पर विस्तार से बताया। नमो नारायण मीणा, रेंजर, बस्सी रेंज ने आरएफबीडीपी की विभिन्न गतिविधियों और कृषिवानिकी के महत्व पर प्रकाश डाला।
साथ ही, कमलेश सैनी, सीईओ एवं कैलाश चंद शर्मा, अध्यक्ष, एफपीओ ने किसानों को एफपीओ की भूमिका के बारे में बताया कि कैसे एफपीओ किसानों के लिए सामूहिक कार्यवाही, विपणन, प्रसंस्करण एवं जैविक खेती के उपयोग में सहायक है।
