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जैसलमेर के जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए भरा नामांकन:लोकसभा चुनाव में भी कर चुके नॉमिनेशन; हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कर रहे पढ़ाई

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब राजस्थान के युवक ने उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। जैसलमेर के रहने वाले जलालुद्दीन ने सोमवार को दिल्ली राज्यसभा पहुंचकर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। इसके बाद वह अब उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ना चाहते हैं।

लोकसभा चुनाव में भी किया था नामांकन

दरअसल, जैसलमेर के रहने वाले जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन किया है। इससे पहले वह वार्ड पंच के साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी नामांकन कर चुके हैं। उन्होंने 2013 में जैसलमेर विधानसभा से और 2014 में बाड़मेर जैसलमेर से लोकसभा चुनाव में नामांकन किया था। हालांकि दोनों ही चुनाव में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया था। इसके अलावा 2009 में आसूतर बांधा पंचायत से वार्ड पंच का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ने के लिए 15 हजार रुपए कैश डिपोजिट भी करवाएं है।
जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ने के लिए 15 हजार रुपए कैश डिपोजिट भी करवाएं है।

दैनिक भास्कर से बातचीत में जलालुद्दीन ने बताया कि मैं जानता हूं उपराष्ट्रपति के पद के लिए किया गया नामांकन रद्द हो जाएगा। लेकिन फिर भी मैंने नामांकन दाखिल किया है। क्यों कि मुझे चुनाव लड़ने का शौक है। इसलिए में सभी तरह के चुनाव में नामांकन दाखिल करता हूं। फिलहाल जलालुद्दीन हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय जयपुर में पढ़ रहे हैं। उन्होंने यहां छात्र संघ चुनाव में भी भाग लेने की कोशिश की थी। हालांकि उम्र ज्यादा होने के कारण तब वह अपना नामांकन ही दाखिल नहीं कर पाए थे।

जलालुद्दीन ने वार्ड पंच से लेकर उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए किया नामांकन
जलालुद्दीन ने वार्ड पंच से लेकर उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए किया नामांकन

उपराष्ट्रपति बनने के सपने पर फिरा पानी

बता दें कि जैसलमेर के मंगालिया मोहल्ले के रहने वाले जलालुद्दीन ने 11 अगस्त को बाकायदा 15,000 रुपए की डिपॉजिट राशि जमा करके अपना नामांकन भी दाखिल किया था। लेकिन जब चुनाव आयोग ने उनके दस्तावेजों की जांच की, तो पता चला कि उनके पास निर्वाचन नामावली की प्रमाणित प्रति पुरानी तारीख की थी। इस गलती ने उनके उपराष्ट्रपति बनने के सपने पर पानी फेर दिया। क्योंकि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, ऐसे मामलों में पर्चा सीधा खारिज कर दिया जाता है।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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