प्रोपर्टी के सिविल विवाद में एफआईआर दर्ज करने और एक पक्ष को धमकाने के मामले में हाईकोर्ट ने हिंडौनसिटी कोतवाली थाने के एसएचओ से स्पष्टीकरण मांगा हैं। अदालत ने एसएचओ को कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण पेश करने के लिए कहा हैं।
जस्टिस समीर जैन की अदालत ने यह आदेश श्यामावती की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनोद सिंघल ने कोर्ट को बताया कि कोतवाली थाने के एसएचओ महावीर प्रसाद ने डीजीपी के सर्कुलर के बाद भी सिविल नेचर के केस में एफआईआर दर्ज की।
वहीं याचिकाकर्ता की दुकान पर जाकर जबरन उसकी दुकान के ताला लगा दिया और चाबियां अपनी जेब में रख ली। वहीं चाबियां लौटाने के बदले 20 लाख रुपए की डिमांड की।
पुलिस सिविल कोर्ट की तरह काम कर रही उन्होने बताया कि याचिकाकर्ता ने साल 1991 में दो दुकानें तिलकराज से खरीदी थी। जिसका फ्री होल्ड पट्टा भी नगर परिषद, हिंडौनसिटी ने 22 सितम्बर 2023 को उसे जारी कर दिया। लेकिन इसी बीच तिलकराज की बहु ने फर्जी गिफ्ट डीड से यह दुकानें भगवान सिंह को बेच दी।
विवाद बढ़ने पर तिलकराज ने अपनी बहु के दावे को खारिज कर दिया। वहीं याचिकाकर्ता ने गिफ्ट डीड और सेल डीड को सिविल कोर्ट में चुनौती भी दे दी। लेकिन दवाब बनाने के लिए दूसरे पक्ष ने याचिकाकर्ता के खिलाफ थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा दिया और याचिकाकर्ता को धमकाने लगे।
वहीं पुलिस भी याचिकाकर्ता पर दुकान खाली करने का दवाब बनाने लगी। 25 जून को एसएचओ महावीर प्रसाद जाब्ते के साथ दुकान पर पहुंचे और याचिकाकर्ता और उसके परिजनों को धमकाया। उन्होने कहा कि प्रोपर्टी का विवाद एक सिविल विवाद हैं। जिसका निपटारा नियमों के तहत सिविल कोर्ट में होगा। लेकिन पुलिस इस मामले में सिविल कोर्ट की तरह काम कर रही हैं।
एसएचओ को पार्टी बनाने के निर्देश अदालत ने इस पूरे मामले में एसएचओ को कोर्ट मे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा हैं। वहीं याचिकाकर्ता को निर्देश दिए है कि वह एसएचओ महावीर प्रसाद को मामले में पक्षकार बनाए।
वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर भी रोक लगा दी हैं।
