राजस्थान भू-जल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक, 2024 बुधवार को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हुआ। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू -जल मंत्री कन्हैया लाल ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि जल हमारे जीवन का मूल आधार है लेकिन राजस्थान जल संकट से जूझ रहा है इसलिए वर्तमान में भू-जल का संरक्षण, संवर्धन व उचित प्रबंधन अति आवश्यक हो गया है। हम सभी को नैतिक दायित्य है कि भू-जल बचाने के लिए सामूहिक रूप से आगे बढ़ें।
मंत्री कन्हैया लाल ने कहा कि भू-जल स्तर बनाये रखने व बढ़ोतरी करने, भू-जल के पुनर्भरण, जल के उचित उपयोग एवं जल संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए राज्य प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है। इससे भू-जल संसाधनों का उचित, न्यायसंगत तथा सतत उपयोग एवं प्रबंधन विनियमन के माध्यम से सुनिश्चित होगा। भू-जल दोहन दर का निर्धारण भी हो सकेगा।
जिला भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन योजनाएं होंगी तैयार
भू-जल मंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले में जिला भू-जल संरक्षण और प्रबंध समिति होगी, जो भू-जल परिस्थितियों के अनुरूप भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन योजनाएं तैयार करेगी। इन योजनाओं में स्थान विशेष के लिए भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन पर निर्णय लिए जाएंगे।
20 साल के अनुभवी विशेषज्ञ बनेंगे सदस्य
इस राज्य प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं सदस्यों का चयन तकनीकी दक्षता के आधार पर होगा। आमजन के हितों की प्राथमिकता के लिए दो विधायक प्राधिकरण के सदस्य होंगे। इसके अलावा पदेन सदस्यों तथा विधानसभा के सदस्यों से भिन्न सदस्य योग्य व प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे। उनके पास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी या भू-जल संसाधनों से सम्बंधित विज्ञान, प्रौद्योगिकी या अभियांत्रिकी मामलों सहित जल संसाधनों के प्रबंध से निपटने में न्यूनतम 20 वर्ष का अनुभव होगा।
प्राधिकरण देगा सुझाव
विधेयक के अनुसार, प्राधिकरण राज्य के किसी भी क्षेत्र के लिए जल की मांग और प्रदाय के समस्त पहलुओं पर सुझाव दे सकेगा। प्राधिकरण में अनुज्ञाएं देने के लिए एक ढांचा तैयार होगा। जागरूकता और वैज्ञानिक आंकड़ों की सूचना का प्रचार करने के लिए रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी। प्राधिकरण भू-जल उपयोग और गुणवत्ता मापने, प्रवर्तन और निगरानी के लिए प्रणाली की स्थापना के सम्बंध में सरकार को सिफारिश करेगा।
निकासी संरचनाओं के लिए करने होंगे आवेदन
किसी भी निकाय और व्यक्ति, प्रस्तावित और विद्यमान भू-जल निकासी संरचनाओं की अनुज्ञाओं के लिए प्राधिकरण को निर्धारित प्रारूप और फीस के साथ प्राधिकरण में आवेदन करेगा। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा लोकहित में यथा अधिसूचित शर्तों या प्रयोजनों के लिए भू-जल निकासी के लिए कोई अनुज्ञा अपेक्षित नहीं होगी। प्राधिकरण सरकार को भू-जल के समस्त उपयोगों के लिए टैरिफ की सिफारिश भी कर सकेगा। प्राधिकरण को प्रत्येक वर्ष अपने कार्यों की रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करनी होगी, जिसे सरकार सदन के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
विधेयक के अनुसार बिना अनुज्ञा के नई भू-जल निकासी संरचना के निर्माण, प्राधिकरण की शर्तों के उल्लंघन, भू-जल की गुणवत्ता को विदोहित, बिना अनुज्ञा निकासी के लिए ड्रिल/खुदाई करने, जल अवसंरचनाओं को क्षति पहुंचाने आदि पर प्राधिकरण कार्यवाही कर सकेगा। विधेयक अनुसार, कोई भी निकाय या व्यक्ति अप्राधिकृत कार्यों के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो प्राधिकरण शास्ति लगा सकेगा। द्वितीय तथा प्रत्येक पश्चात्वर्ती अप्राधिकृत कार्य के लिए यथाविहित पांच गुणा शास्ति लगाई जाएगी।
उल्लंघन पर 6 माह कारावास और 1 लाख रुपए जुर्माना या दोनों
विधेयक के अनुसार, अधिनियम के अधीन जारी निर्देश या आदेश की अनुपालना नहीं करने पर न्यायालय द्वारा कार्यवाही की जाएगी। इसमें प्रथम अपराध पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगेगा। इसके बाद पुनः दोषसिद्धि पर 6 माह तक का कारावास या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों कार्रवाई की जाएगी। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग मंत्री ने कहा कि विधेयक के अनुसार, जहां पर आवश्यक है, वहां पर छूट देने और जहां पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है, वहां कड़े प्रतिबंध के प्रावधान किए गए हैं।
